Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Grid

GRID_STYLE

Hover Effects

TRUE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

//

BOOKS

latest

Ads Place

Gautama Buddha story in Hindi

यह कहानी है गौतम बुद्ध जी के बारे में। गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। उनका जन्म 536 बी. सी. से लेकर 436 बि.सी. तक रहे ।...

यह कहानी है गौतम बुद्ध जी के बारे में। गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। उनका जन्म 536 बी. सी. से लेकर 436 बि.सी. तक रहे । उनके पिता का नाम सुधोधना था। वह शाक्यः साम्राज्य के राजा थे। उनकी माॅ का नाम महामाया था। सिद्धार्थ के जन्म के वक्त उनकी माॅ अपने मायके जा रही थी। रास्ते में ही उनका जन्म हो गया। उनका जन्म एक लुम्बिनी नामक पेड़ के नीचे हुआ था, जहां उनका जन्म हुआ था। वहां अभी एक मंदिर है जो कि नेपाल में है। 
जब राजकुमार महल पहुंचे उनका भव्य स्वागत हुआ। उनके स्वागत के समय बहुत साधु महात्मा और पंडित आए हुए थे। सभी पंडितों और साधु संत महात्मा ने बताया कि यह राजकुमार या तो बड़े होकर बहुत महान राजा बनेंगे या तो महान संत बनेंगे।
राजकुमार सिद्धार्थ के पिता यह चाहते थे कि वह एक महान राजा बने, इसलिए उन्होंने सिद्धार्थ को सारे ऐशो आराम दिए और उन्हें महल से बाहर भी नहीं जाने दिया। पर सिद्धार्थ बचपन से ही दयालु स्वभाव के थे। धीरे-धीरे वह बड़े हुए और उनके राज्य अभिषेक का समय आ गया। तब सिद्धार्थ के पिता को लगा कि अब यह महान राजा ही बनेंगे। जब उनके राज्य अभिषेक का समय आया तब उन्होंने राज्य देखने की बात अपने पिता से कहीं तक उनके पिता ने मंत्री को राज दिखाने के लिए कहा, तब सिद्धार्थ पहली बार पूरे राज्य का भ्रमण किए। उनके इस यात्रा ने उनकी पूरी जीवन बदल दिया। उनके मार्ग में एक गरीब आदमी आया तो राजकुमार ने मंत्री से उसके बारे में पूछा और मंत्री ने गरीब व्यक्ति के बारे में बताया। ऐसे चलते - चलते एक रोगी व्यक्ति आया और उसके बाद एक बूढ़ा व्यक्ति आया। 
राजकुमार ने इनके बारे में अपने मंत्री से पूछा, राजकुमार ने कभी यह सब चीज नहीं देखा था। उनके पिता जी ने उनको इन सब से दूर रखा था और फिर वही हुआ जो उनके बारे में पंडित और ज्ञानी  माहात्मा ने बताया था। वह रात को महल और ऐशो आराम को छोड़कर महल छोड़कर चले  गए। वह इस खोज में निकल गए कि आखिर यह सब मनुष्य के जीवन में क्यों आता है? क्यो मनुष्य को इतना पीड़ित होना पड़ता है? उन्होंने पटना से 100 किलोमीटर दूर बौद्धि वृक्ष  ( पेड़ ) के नीचे तपस्या किया था। यहीं पर उन्होंने आध्यात्मिक ( Spirituality) ज्ञान प्राप्त किया था और वहां से उनका नाम गौतम बुद्ध पड़ गया। 
गौतम बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की थी।
यह कहानी गौतम बुद्ध के बचपन से लेकर उनके संत बन्ने तक की है।
इस ब्लॉग मे इतना ही।  मिलते हे अगले ब्लॉग मे। 
धन्यवाद 

No comments

Ads Place